Monday 18 March 2013

होली पर विशेष

रंगों का त्योहार होली 

बसंत पंचमी के आते ही प्रकृति मे नए परिवर्तन आने लगते है , पतझड़ आने लगता है , आम की मंजरियों पर भंवरे मंडराने लगते है ,  कहीं कहीं वृक्षों पर नए पत्ते भी दिखाई देने लगते है । प्रकृति मे नवीन मादकता का अनुभव होने लगता है । इसी प्रकार होली का पर्व आते ही  नई  रौनक , नए उत्साह और नई उमंग की लहर दिखाई देने लगती है ।

होली जहां एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है , वहीं रंगो का त्योहार भी है । हर उम्र हर वर्ग के लोग बड़े उल्लास से इस त्योहार को मनाते है । इसमे जाति वर्ण का कोई स्थान नहीं है । इस पर्व को नवान्नेष्टि यज्ञ पर्व भी कहा जाता है । खेत से नवीन अन्न को यज्ञ मे हवन करके प्रसाद पाने की परंपरा है ।

होली एक आन्नदोत्सव है ,इसमे सभी अपने पुराने गिले शिकवे
भूल कर एकदूसरे के गले लग जाते है ।  इसमे जहां एक ओर उत्साह व उमंग की  लहरें है वहीं कुछ बुराइयाँ भी आ गई हैं । कुछ लोग इस अवसर पर अबीर गुलाल के अलावा कीचड़ , मिट्टी , गोबर इत्यादि से जंगलियों की भांति खेलते है । हो सकता है  कि  उनके लिए ये खुशी संवर्धन का कारण हो किन्तु जो शिकार होता है  वही व्यक्ति इस पीड़ा को समझ पाता है। ऐसा करने से प्रेम   की  बढ़ोत्तरी होने के बजाय नफरत का इजाफा हो जाता है । इसलिए इन हरकतों से किसी के हृदय को चोट पंहुचाने के बजाय कोशिश ये होनी चाहिए कि प्रेम का अंकुर फूटे । 

होली सम्मिलन , मित्रता एवं एकता का पर्व है । इस दिन द्वेष भाव भूल कर सबसे प्रेम एवं भाई चारे से मिलना चाहिए , एकता सोल्लास एवं सद्भावना का परिचय देना चाहिए । यही इस पर्व का मूल उद्देश्य एवं संदेश है ।    

5 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है!
    सादर ...सूचनार्थ!
    http://charchamanch.blogspot.in/2013/03/1188.html

    ReplyDelete
  2. बेह्तरीन अभिव्यक्ति !शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena69.blogspot.in/

    ReplyDelete
  3. sundar abhivykti, hardik shubhkamnaye

    ReplyDelete